
“सरकार की गलतनिती के चलते सुशिक्षित बेरोजार,टेक्निकल ,आई टी,आई.पढे लिखे उमेदवार जिन्हें सरकारी जाब,या ऋण तय सिमातक मिलनाही चाहिये था। पर बैकों निती,सरकार की उमेदवार प्रती उदासिनता के चलते,विदर्भ के नवजवान पढाई होने के बावजूद खाली रहे। अप्रेटिशिप अधुरी रह गयी। सो काम न मिलने के कारण ,औद्योगिक परिसर मे काम न मिलने के कारणवश घर,परिवार चलाने हेतू बनपडे वे काम करणे लगे। बेंकोंने लोन देनेसे अपनी मणमानी चलाकर हजारो चक्कर मारने के बावजूद कारन बताये बिनाऋण देने मना कर दिया,बल्की बेंको से हकालही दिया। सरकारी नोकरी सरकार की गलत निती की वजह नही मिली। नौबत यह आगई उमर बढणेसे योजना मिलनेसे रही। आज आलम यह है। आज उमर ढलनेके कारण काम मिलना,या कम हो गया है। आज ईन झुके हूवे कंधोको सहारे की खुप जरुरत है। क्या सरकार ईन झुके हुवे कंधोको कुछ सहारा दे सकंती है। या कुछ योजना के तहत ईन झुके हुवे कंधोको सवारने,समझने की खुप जरुरत है। यह आज ईन झुके हुवे कंधोके उमेदवारोंकी दिलकी आवाज उठ रही है।